sikshan vidhiyam 2
टोली समूह शिक्षण (Group teaching) :- समूह शिक्षा या टोली शिक्षण, शिक्षण की एक सुव्यवस्थित प्रणाली है
जिसमें कई शिक्षक मिलकर विद्यार्थियों के एक समूह को अनुदेशन प्रदान करते हैं और
एक साथ मिलकर किसी विशिष्ट प्रकरण के लिए शिक्षक का उत्तरदायित्व लेते हैं | इसमें दो या दो से अधिक शिक्षक भाग लेते हैं | इसमें शिक्षण विधियों
की योजना, समय तथा प्रक्रिया लचीली रखी जाती है ताकि
शिक्षण उद्देश्य के अनुसार तथा शिक्षकों की योग्यता के अनुसार समूह शिक्षण के
कार्यक्रम में आवश्यक शिक्षित परिवर्तन लाए जा सके |
परिचर्चा विधि Discussion Method) :- इस विधि में छात्र और अध्यापक आपस में किसी विषय पर चर्चा करते हैं | इस विधि के द्वारा सभी अपने अपने विचार रखते हैं | कई बार छात्र किसी विषय को लेकर विभेद भी करता है | इस विधि के द्वारा बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ता है क्योंकि सभी छात्र अपने
अपने विचार प्रस्तुत करते हैं |
व्याख्यान विधि (Lecture/Descriptive method) :- इस विधि में
अध्यापक एक पाठ को तैयार करके आता है और किसी विषय के विविध पक्षों को
विद्यार्थियों के सम्मुख प्रस्तुत करता है | यह विधि शिक्षक केंद्रित है | इस विधि का प्रयोग उच्चतर की शिक्षा के लिए किया जाता है |
प्रोजेक्ट या परियोजना विधि (Project Method) :- प्रोजेक्ट शिक्षा प्रणाली के जन्मदाता किल पैट्रिक थे |
"किल पैट्रिक के मतानुसार :- प्रोजेक्ट एक मनोनकूल साभिप्राय किया
है जो सामाजिक वातावरण में अग्रसर होता है|"
प्रोजेक्ट पद्धति
की प्रक्रिया :-
1.
अध्यापक बच्चों से वाद विवाद करके समस्या उत्पन्न करता है और बच्चों को बोलते
हैं कि समस्या का हल ढूंढो बच्चे उस समस्या को लेकर प्रोजेक्ट बनाते हैं |
2.
प्रोजेक्ट बच्चों की इच्छा के अनुसार दिया जाता है ना कि अध्यापक की|
3.
प्रोजेक्ट के निर्वाचन होने के बाद उसकी संरचना बनाई जाती है |
4.
प्रोजेक्ट की समाप्ति पर मूल्यांकन किया जाता है |
डाल्टन पद्धति (Dalton Process) :- यह शिक्षा पद्ति 1920 में कुमारी हेलन पार्क हर्स्ट द्वारा निकाली गई | हेलन अमेरिका के
डाल्टन नगर में 30 बच्चों की इंचार्ज
थी जो आयु तथा योग्यता से भिन्न भिन्न थे | उनकी शिक्षा के लिए अपनाए की विधि ही डाल्टन विधि कहलाई |
डाल्टन पद्धति के गुण :-
1.
शिक्षा व्यक्तिगत विभिंता पर आधारित |
2.
स्वयं क्रिया तथा अनुभव से सीखना |
3.
निश्चित समय में निश्चित कार्य करना |
4.
बालकों में उत्तरदायित्व तथा स्वालंबन की भावना विकसित करना |
5.
शिक्षक और बच्चों के मध्य गहरा संबंध विकसित होना |
कक्षा में सहकारी शिक्षा को प्रोत्साहित करने हेतु एक शिक्षक को चाहिए कि सभी छात्रों को किसी विसेष विषय पर व्यापक अध्ययन एवं विश्लेषण करने हेतु उन्हें बहस एवं चर्चाओं में लगाए।बहस एवं चर्चा अधिगम का वह माध्यम है, जिसके मायधम से न सिर्फ ज्ञान का विस्तार होता है, बल्कि व्यक्तिगत रूप से सभी छात्रों का कौशल विकास भी होता है।
ReplyDelete