sookshm shikshan

सूक्ष्म शिक्षण को नियंत्रित अभ्यास की व्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता है जिससे किसी निश्चित शिक्षण व्यवहार पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ नियंत्रित परिस्थितियों में शिक्षण का अभ्यास करना संभव हो पाता है।

परिभाषा

टीचर शिक्षा के क्षेत्र में सूक्ष्म शिक्षण एक नया आविष्कार है। यह एक अवसर प्रदान करता है जिससे एक समय पर एक ही कौशल को चुना जा सकता है और एक नियोजित तरीके से इसका अभ्यास करना है। सूक्ष्म शिक्षण एक सुनियोजित शिक्षण है:
  1. कक्षा के आकार को 5-10 लोगों में सीमित करना।
  2. समय सीमा को 36 मिनट तक कम करना।
  3. पाठ के आकार को कम करना।
  4. शिक्षण कौशल को कम करना।
सूक्ष्म शिक्षण टीचर शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम में एक नवीनतम् आविष्कार है जो कि टीचर के व्यवहार को निश्चित उद्देश्यों के अनुसार ढालने में सहायक होता है।

उद्देश्य 

  • एक टीचर प्रशिक्षु को सीखने और नए शिक्षण कौशल को नियंत्रित परिस्थितियों में आत्मसात् करने योग्य बनाना।
  • एक टीचर प्रशिक्षु को कई शिक्षण कौशल में योग्य बनाना।
  • एक टीचर प्रशिक्षु को शिक्षण में विश्वास करने योग्य बनाना।
  • शिक्षार्थियों में नए कौशल का विकास करना।
सूक्ष्म शिक्षण सामान्य ज्ञान के परिणामों और फ़ीडबैक के मानकों को विस्तारित करता है। एक संक्षिप्त सूक्ष्म पाठ को पढ़ाने के तुरंत बाद प्रशिक्षु अपने प्रदर्शन की आलोचना में जुट जाता है।

समय सीमा

शिक्षण कौशल के अभ्यास के लिए उपयुक्त परिस्थितियां और पर्याप्त सुविधाएं बनाने के लिए कई बातें ध्यान में रखी जाती हैं।
सूक्ष्म शिक्षण के भारतीय नमूने के अनुसार जो कि NCERT द्वारा विकसित किया गया है वो इस प्रकार है:
  • पढ़ाना: 6 मिनट
  • फ़ीडबैक: 6 मिनट
  • पुनर्योजना: 12 मिनट
  • पुनर्शिक्षण: 6 मिनट
  • पुनर्फ़ीडबैक: 6 मिनट
  • कुल: 36 मिनट

माइक्रो टीचिंग (सूक्ष्म शिक्षण) का चक्र

सूक्ष्म शिक्षण चक्र में शामिल छह चरण हैं – योजना, पाठन, फ़ीडबैक, पुनर्योजना, पुनर्शिक्षण और पुनर्फ़ीडबैक। अभ्यास सत्र के उद्देश्य की ज़रूरतों के अनुसार भिन्नताएं हो सकती हैं। ये चरण निम्नलिखित चित्र के अनुसार प्रदर्शित किया जाएगा:
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यहां विद्यार्थी-शिक्षक एकसाथ विभिन्न कौशलों को एकीकृत करते हैं। एक कृत्रिम परिस्थिति में वह एक वास्तविक कक्षा में पढ़ाता है और सभी कौशलों को एकीकृत करने का प्रयास करता है। यह चक्र एक सीमा तक काम करता है यदि प्रशिक्षु एक निश्चित कौशल में उस्तादी हासिल करता है तो।

सूक्ष्म शिक्षण के लाभ

यह एक आविष्कार है जिसमें सीखने और तकनीक के प्रयोग के सिद्धांतों का मूल आधार है। सूक्ष्म शिक्षण के लाभ इस प्रकार हैं:
  • यह एक प्रशिक्षण उपकरण है जिससे शिक्षण अभ्यास और प्रभावी शिक्षक तैयार किए जा सकते हैं।
  • यह शिक्षण को सुगम्य करता है जिससे नवागंतुकों के लिए आसानी होती है।
  • शिक्षकों में विश्वास की भावना पैदा करना।
  • सूक्ष्म शिक्षण एक वास्तविक कक्षा में या कृत्रिम कक्षा में किया जा सकता है।
  • यह विशेष कार्यों की सफ़लता के लिए प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करता है जैसे निर्देशात्मक कौशल, पाठ्यक्रम सामग्री और शिक्षण तकनीक।
  • इसमें अधिक नियंत्रण और नियंत्रित शिक्षण अभ्यास शामिल होता है।
  • क्षमता के अनुसार यह प्रशिक्षु को शिक्षण कौशल के विकास करने में मदद करता है।
  • यह एक प्रभावी फ़ीडबैक उपकरण है जिससे शिक्षक के व्यवहार को बदला जा सकता है।
  • यह एक अत्यंत व्यक्तिगत प्रकार का शिक्षण प्रशिक्षण है।
  • यह पूर्व या सेवा के दौरान शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षण प्रभाव को विकसित करने में सक्षम है।
  • यह वस्तुनिष्ठ और व्यवस्थित अवलोकन में सहायक है क्योंकि यह एक अवलोकन सीमा देता है।
  • यह विभिन्न प्रकार के कौशल आत्मसात करने में सहायक है जो कि एक सफल़ टीचर का आधार तय करता है।
  • यह सामान्य कक्षा की जटिलताओं जैसे कक्षा के आकार, कक्षा का समय और अनुशासन की समस्याओं को कम करता है।

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