shikshan- shikshan ke sidhanth

शिक्षण एक सामाजिक प्रक्रिया है जिस पर प्रत्येक देश की शासन प्रणाली, सामाजिक दर्शन तथा मूल्यों एवं संस्कृति का प्रभाव पड़ता रहता है। जिस देश की जैसी शासन प्रणाली तथा दार्शनिक विचार धारा होगी, वहाँ की शिक्षण प्रक्रिया पर वैसा ही प्रभाव पड़ेगा। इस प्रक्रिया के वैज्ञानिक एवं कलात्मक दोनों पक्ष हैं। शिक्षण में जब हम उसकी समस्त प्रक्रियाओं का आधार मनोविज्ञान है, का तर्क देते हैं तब यह विज्ञान हो जाता है और जब हम शिक्षण को मार्गदर्शन करने वाला, छात्रों को उत्सुक एवं जागृत बनाने वाला कहते हंै तब यह कलात्मक रूप लेने लगता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शिक्षण की प्रकृति कलात्मक एवं वैज्ञानिक दोनों तरह की होती है इन दोनों प्रकृति का मुख्य उ६ेश्य छात्रों के व्यवहारों में वांछित परिवर्तन लाने के उ६ेश्य से विभिन्न प्रकार की क्रियाएँ सम्पादित करना होता है और इन क्रियाओं के फलस्वरूप शिक्षण और सीखने वाली परिस्थितियों में सम्बन्ध स्थापित हो जाता है।


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