ह मारी शिक्षा व्यवस्था आज भाषा समस्या से जूझ रही है। यह भाषा समस्या भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उत्पन्न हुई। प्राचीनकाल में संस्कृत राजभाषा रही है। मध्यकाल के मुस्लिम शासन में फारसी राजभाषा बनी। आधुनिक काल के अंग्रेजी शासन काल अंग्रेजी को राजभाषा बनाया गया। अत: इन कालों में कोई भाषा विवाद उत्पन्न नहीं हुआ, लेकिन स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद देश भाषा विवाद की जकड में आ गया। भारतीय संविधान में अभी तक 22 भाषाओं को राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। अत: एक वर्ग मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा को महत्व दिए जाने का पक्षधर था। दूसरा वर्ग अंग्रेजी के अंतरराष्ट्रीय महत्व और उपयोगिता का सहारा लेकर अंग्रजी को महत्व देने की बात कर रहा था। तीसरा वर्ग हिन्दी को राजभाषा व देश को एकता सूत्र में बांधने वाली भाषा के रूप में विशेष महत्व दिए जाने का समर्थक है। फलत: जो भाषा राष्ट्र को एकता के सूत्र में बांधने का साधन है, वह देश को तोडने का साधन बन गई। भाषा विवाद के कारण देश में जातीय, प्रादेशिक, सांप्रदायिक एवं भावात्मक झगडे हुए। भाषा समस्या की जटिलता को अंकुरित, पुष्पित और पल्लवित करने वा...